Sarfira release date: July 12, 2024
Sarfira movie budget: 100 crores.
Sarfira box office collection: 7 crores (Day 1)
Sarfira trailer
क्लिक करें : https://www.imdb.com/title/tt23475174/
अक्षय कुमार वापिस आ चुके हैं अपनी एक और रीमेक फिल्म लेके जो सिनेमा घरों में सरफिरा के नास से रिलीज़ हुई है। यह फिल्म ठीक अपने ओरिजिनल फिल्म के आते हि कन्फर्म होगयी थी की ये बोल्ल्य्वूद में रीमेक होने वाली है और ये ज़ाहिर सी बात है साऊथ की फिल्में जो भी बॉक्स ऑफीस पर अच्छा कलेक्शन करती है और जिसकी कहानी बहुत अच्छी और अलग होती है। अगर बात करें हाल हि में रिलीज़ हुई अलआलम सिनेमा की तरफ से डो फिल्में भ्रमयुगाम और आवेशम इन दोनों फिल्मों के राइट्स बॉलीवुड के द्वारा खरीदे जा चुके हैं और कुछ सालों में यहाँ फिल्म आपको सिनेमा घरों या किसी भी ओटीटी पर देखने को मिल जाएगंगी। ये तो बात रहे जो फिल्में आने वाली हैं लेकिन मलयालम सिनेमा की तरफ से एक बहुत सुकून देने वाली फिल्म जो आपको हसएगी भी और डराएगी भी। मलयालम सिनेमा की तरफ से रोमानचछम इस फिल्म का रीमेक शूट हो चूका है और बॉलीवुड में रिलीज़ होने जा रहा है। अभी टाइल कन्फर्म नहीं है लेकिन इस फिल्म में आपको श्रेयस तलपड़े और तुषार कपूर जैसे कॉमेडियन देखने को मिलेंगे जिनको आपने गोलमाल और धमाल जैसी कॉमेडी फिल्मों में देखा था।
रीमेक बोल्ल्य्वूद का अब एक अहम् हिस्सा बन चूका है। अहम् कहना थोड़ा हल्का रहेगा अहम् की बजाये इसको बॉलीवुड का ऑक्सीजन बोलना चाहिए जिस पर बॉलीवुड आज टिका हुआ। अब इसको बॉलीवुड की मजबूरी कहें या जबरदस्ती ये तो कब ये चीज़ करने वाले हि जाने। लेकिन बॉलीवुड जहाँ करोडो लगाके एक फिल्म के राइट खरीदता हैं विपिन अगर यही मेकर्स किसी अच्छे राइटर को आछा कम्पोन्सटिव देके एक नए और यूनिक कांसेप्ट पर एक बेहतरीन कहानी बना सकते हैं। लेकिन आज के समय में सबको अपना हि फायदा दिखता है चलो एक बारी को हम फ़ायदा को कोने में रख दें तो फिल्में हम दर्शकों के लिए बनाई जाती है और जब दर्शक हि नहीं चाहते की मेकर्स अब रीमेक न बनाये तो क्यों मेकर्स अपने पासी गलत जगह इन्वेस्ट करे जा रहे हैं। एक समय था जब रेमकेस ओरिजिनल से ज्यादा पैसे कमाया करती थी और साथ में कहानी भी बहुत अच्छी हुआ करती थी लेकिन हर चीज़ का एक समय होता है जो शयद बॉलीवुड वाले मानने को तैयार नहीं की उनको अब रीमेक करना बंद करदेना चाहिए और अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए नए ऑफ़ लाभदायक लोगों पर पैसा लगाना चाहिए।
ये तो रही रीमेक पर कुछ बातें आइये अब बात करते हैं फिल्म सरफिरा के बारे में। इस रिव्यु ब्लॉग में हम जानेंगे की क्यों देखनी चाहिए आपको ये फिल्म और क्या चीज़ें इसको इसके रीमेक से अलग बनती है तो बने रहिये हमारे साथ। अक्षय कुमार स्ट्ररर सरफिरा फिल्म को साऊथ की जानी मणि निर्देश सुधा कंगना ने डायरेक्ट किया है जिन्होंने इसकी ओरिजिनल फिल्म सुरराई पोटरु को डायरेक्ट किया था जिसको हिंदी दर्शकों के लिए उड़ान के नाम से हिंदी डब में रिलीज़ किया गया था जिसको हिंदी दर्शकों ने बहुत पसंद किया और इसके मैं लीड तमिल सिनेमा के जाने माने कलाकार सुरिया की एक्टिंग को बहुत सहारा गया था, दर्शक सरफिरा के ओरिजिनल फिल्म को अमेज़न प्राइम पर हिंदी में देख सकते हैं।
सरफिरा फिल्म की कहानी एक ऐसे इंसान पर लिखी गयी है जो भारत के ग़रीब लोगों को हवाई जहाज की सवारी सिर्फ एक रूपए में करवाना चाहता है और यही चीज़ इसकी कहानी को एक अलग तरीके की इमेज देती है। उड़ान और सरफिरा की कहानी का विज़न बिलकुल शामे है और सीन तो सीन सरफिरा फिल्म उड़ान के विज़न में रखतेब हुए बनाई गयी है और ऐसे हि रीमेक फिल्मों का काम होता है। सरफिरा में अक्षय कुमार का किरदार उतना रियल नहीं लगा जितना उड़ान फिल्म में सुरिया का किरदार था। अक्षय कुमार अपनी वही पुराने अवतार में इस फिल्म में दिखे जो की एक दर्शक के लिए कुछ एक्ससिटिंग नहीं रहा होगा। अक्षय कुमार की कॉमेडी इमेज अब उनके लिए बहुत भारी पड़ती जा रही है। अक्षय कुमार के चेहरे पर वो स्ट्रगल और गुस्सा पूरी फिल्म में महसूस हि नहीं हुआ जो असल में कहानी का किरदार झेल रहा था। इसको और सरल भाषा में बताएं जब अक्षय कुमार के किरदार के पिताजी का देहांत हो जाता है तब अक्षय कुमार के इमोशनल एक्सप्रेशन उनकी बाकी फिल्मों की तरह हि महसूस होते हैं और तिनके भर का भी कनेक्शन उन किरदार से महसूस नहीं होता।
फिल्म की राइटिंग बहुत सरल तरीके से की गई है और कहीं भी सिचुएशन भागती हुई नज़र नहीं आती। कुछ एक सीन और सिचुएशन को बॉलीवुड के मुताबित बदला गया है लेकिन बाकी 97 परसेंट फिल्म को रीमेक किया गया है। डायलॉग्स पुरानी फिल्म की तरह हि रखे गए हैं और ज्यादा अजीब नहीं लगते ये बात काफी सही है की डायलॉग्स को ज्यादा तोडा या मरोड़ा नहीं गया है। बॉलीवुड में जिस तरह की आज के समय में राइटिंग चल रही है उसके मुताबित बाकी रीजनल फिल्मों की राइटिंग बेहतर दिखती है। राइटिंग के स्टेज पर फिल्म का लेवल डिसाइड करलिया जाता है लेकिन यह चीज़ सिर्फ लिखने वाले राइटर्स और मेकर्स तक हि रहती है हम दर्शकों तक फिल्म आने के बाद पता चलता है। लेकिन आज कल के दर्शक बहुत एडवांस हो चुके हैं वो फिल्म के टीज़र को देखकर हि बता देते हैं की फिल्म कैसी रहने वाली है। यह चीज़ मेकर्स को समझनी चाहिए की दर्शकों का देखने का नजरिया अब बदलता जा रहा है और दिन बर दिन एडवांस से ऊपर लेवल का होता जा रहा है।
फिल्म में एक्टिंग कुछ ख़ास नहीं थी अक्षय कुमार और राधिका मदन किए बीच की केमिस्ट्री कहीं न कहीं ठंडी पद रही थी। ये ठन्डे पड़ने का कारन इनकी एक्टिंग को साथ साथ इनका मेकओवर था। राधिका मदन के फेस पर मेकअप बहुत किया गया था जिससे उनके चेहरे पर वो लौ क्लास इमेज उभर कर नहीं आ पा रही थी। अगर इसी की तुलना में बात करें अपर्णा बालमुरली जिन होने इसके ओरिजिनल वर्शन में फीमेल लीड रोले निभाया था। उनका चेहरा हि काफी था जज़्बात बयां करने को एक्टिंग तो बीएस एक सहारा था किरदार को फिल्म के थीम में फिट करने के लिए और यही हु बहु चीज़ सुरिया के किरदार पर भी लागू होती है जो अक्षय कुमार और रश्मिका मदन मिस कर रहे थे। रसमिका मदन बुरी एक्ट्रेस नहीं है और न की अक्षय कुमार बुरे एक्टर हैं बस कमी सही एक्टिंग की है जो इस पूरी फिल्म में खटकती रही।
परेश रावल और बाकी कलाकारों का काम बहुत अच्छा था और जब जब परेश रावल स्क्रीन पर आ रहे थे तब तब उनकी एक्टिंग में हमें बहुत वैरिएशंस देखने को मिले। परेश रावल ने इसके ओरिजिनल वर्शन में भी परेश गोस्वामी का किरदार निभाया है। गौर करने वाली बात ये है फिल्म रीमेक है लेकिन परेश रावल की एक्टिंग रीमेक नहीं उन्होंने इस फिल्म में बहुत हटके एक्टिंग की है। माना दोनों फिल्मों में पेश रावल का किरदार वही था लेकिन उनकी एक्टिंग इस फिल्म में पिछली फिल्म से बहुत अलग थी। फिल्म का प्रोडक्शन काफी अच्छा है और ज्यादातर चीज़ों को इसके पिछली फिल्म के प्रोडक्शन की तरह रखा गया है।
फिल्म एक शंघर्ष को बताने के लिए बनाई गई है लेकिन संघर्ष पूरी फिल्म में हमको देखने को नहीं मिलता। फिल्म के निर्देशक सुधा ने डायरेक्शन में कोई कमी नहीं छोड़ी और साथ हि फिल्म की किसी भी स्टेज पर कोई कमी नहीं बस कमी हमको महसूस हुई एक्टिंग मे। फिल्म का कैमरा वर्क ,एडिटिंग, साउंड ,लाइट और डबिंग नहुत अच्छे स्केल पर की गई है। लेकिन स्ट्रगल को अच्छे से न दिखने के कारन यह फिल्म कुछ ख़ास महसूस नहीं होती। अगर फिल्म की कास्टिंग पर और थोड़ा ध्यान दिया जाट तो फिल्म के थीम को दर्शाने में बहुत मदद मिलती। उड़ान फिल्म में स्ट्रगल को बहुत अच्छे से दर्शाया गया है आपलोग इसके ओरिजिनल वर्शन को सिर्फ देखेंगे नहीं उसको महसूस भी करने लगेंगे। उड़ान फिल्म में हर एक छोटे सीन में हुएमिन स्ट्रगल नज़र आता है जो इस कहानी का सेंटर थीम है।
सरफिरा ओने टाइम वाच फिल्म है इसको अगर आप इस वीकेंड पर देखने की सोच रहे हैं या अपने भाई ,बहिन, दोस्तों या घरवालों के साथ देखने का सोच रहे हैं तो आप लोग अपने पास सिनेमा घरों में जाके इस फिल्म क आनंद उठा सकते हैं। फिल्म मेंज्यादा बारीकियां नहीं है जिसको अप्प को समझने में तकलीफ हो। जैसा की हमने ने ऊपर बात की फील्म बहुत हि नार्मल पेस लेके अपने आप को आगे बढाती है। बाकी दर्शक जो अपनी ज़िन्दगी में बहुत बिजी हैं तो वो दर्शक इस फिल्म को ओटीटी पर देख सकते हैं अभी ओटीटी के राइट्स फ़िलहाल अमेज़न प्राइम वीडियो के पास हैं।