Hindustani 2 release date: July 12th.
Hindustani 2 box office collection: 9 crores (Day 1).
Hindustani 2 imbd: 5.7/10
Hindustani 2 cast: Kamal Hassan, Sj Surya, Siddrath, Rakul preet singh.
Hindustani 2 trailer
28 साल के लम्बे इंतज़ार के बाद साउथ के डायरेक्टर शंकर और कमल हसन अपनी नब्भे के दशक की सुपरहिट मूवी हिंदुस्तानी का दूसरा भाग लेके आ चुके हैं जिसका नाम रखा गया है हिंदुस्तानी 2 जीरो टॉलरेंस। कमल हसन की हाल हि में आई फिल्म कल्कि 2898 एड़ी ने बहुत तारीफें बटोरी और अभी भी यह सिलसिला चालू है। लेकिन कमल हसन की मच अवेटेड फिल्म हिंदुस्तानी की आगे की कहानी क्या देखने लायक है या नहीं आई ये जानते हैं आज के इस रिव्यु ब्लॉग में। यहाँ आपको इस फिल्म को देखना चाहिए या नहीं और इसी के साथ साथ अपने पैसों को इस फिल्म पर खर्च करना चाहिए की नहीं आज आपको साड़ी चीक्सइं पता चल जाएगी बीएस आप हमारे साथ बने रहिये।
हिंदुस्तानी 2 की कहानी अपने पहले पार्ट के एक छोटे से ग्लिम्पसे से शुरू होती है जहाँ हमने पहले भाग में देखा था की कमल हसन भारत में हो रहे करप्शन को रोकने के लिए बहुत सरहदें पार कर देता है और यहाँ तक कमल हसन का किरदार अपने हि बेटे को भी करप्शन की चपेट में आता देख मार देता है। यह चीज कमल हस्सान के किरदार को और भी ईमानदार बनती है और दर्शकों को भी दिला दिलाती है की जिस तरह यह किरदार कहानियों में करौतिओं को मिटा कर ईमानदारी से अपना किरदार निभा रहा है। कुछ उसी तरह असल दुनिया में यह किरदार एक्टिंग के साथ भी ईमानदार रहे। एक्टिंग तोह ईमानदारी के पाले में रही लेकिन कहानी का क्या उसने वो तो किसी भी तरह के करूपतिओं के चपेट में नहीं आई तो फिर इस फिल्म की कहानी गयी कहाँ।
फिल्म का थीम करप्शन के इर्द गिर्द घूमता हुआ नज़र आता है। जहाँ हमें हिंदुस्तानी 2 की कहानी में देखने को मिलता है की तीन दोस्त जिनका नाम आरती, तम्बेश और हरीश एक यूट्यूब चैनल चलाया करते हैं जिसमें वे लोग नेताओं की नक़ल कर उन पर वयंग्य कसा करते हैं और देश में चल रहे घूस खोरी के खिलाफ आवाज़ उठते रहते हैं। मामला तब गर्म होना शुरू होता है जब एक महिला घूस खोरी के चलते आत्महत्या करलेती है। तब ये तीन मुख्य किरदार सोशल मीडिया पर इंडियन बैक नाम से काम्पगिं शुरू कर कमल हसन के किरदार को वापिस बुला लेते हैं। कहानी का प्लाट बहुत अच्छा चुना गया है लेकिन वहीँ दूसरी तरफ यह चीज़ बहुत हि पुरानी देखे पड़ती है। क्यूंकि पिछले तीस सालों में बहुत फिल्में और सीरियल आचुके हैं जिन्होंने यह थीम को उठा कर अलग अलग तरह का कांसेप्ट हम दर्शकों के सामने रखा बात करें शंकर की हि फिल्म नायक की वह भी कुछ मिलते झूलते थीम पर हि बेस्ड थी जहाँ एक आदमी एक दिन का मुख्य मंत्री बनकर देश की दिक्कतों को खत्म करता है जिसमें करप्शन भी शामिल था। बीएस फर्क इतना था की हिंदुस्तानी फिल्म एक करप्शन के कांसेप्ट को लक्ष्य मानकर आगे बढ़ती है और उसी के आस पास घूमती नज़र आती है।
फिल्म के शुरुवाती मिनट आपको बांध के रखते हैं और कहनी को एक अलग दिशा में सेट करने के लिए नए किरदारों को धीरे धीरे कहानी में कोडती है ! सिर्फ शुरू का बिल्ड अप कहानी को जकड़े रखता है जब तक कमल हसन के किरदार की फिल्म में एंट्री नहीं होती ! अक्सर फिल्म में मैं लीड की एंट्री के बाद असल कहानी शुरू होती है लेकिन इस फिल्म के साथ मामला हल्का उल्टा है कमल हसन के किरदार का इंट्रोडक्शन बहुतअच्छा बनाया गया है लेकिन जब किरदार कहानी में अपनी नीव को बनता है तब ऐसा महसूस होता है की किरदार जबरदस्ती अपने आप को एस्टब्लिश कर रहा है ! कुछ वक़्त के लिए कमल हसन का किरदार बे वजह अपने आप को साबित करने में लगा हुआ था की वो कौन hai जब की हिंदुस्तानी किरदार को लोग कहानी में भली भांति जानते हैं !
अगर इस बात को भी हम नज़र अंदाज़ करदें तो कहानी आधे घरते बाफ जाके कुछ ख़ास कमल नहीं कर पाती ऐसा v है की कहानी को हम में पिछली दस फिल्मों में देखा हुआ है और हर एक सिचुएशन को आसानी से प्रीडिक्ट किया जा सकता था की अब आगे कहानी में क्या होने वाला है ! फिल्मोग्राफी bahut ही एडवांस फील होती है और पिछली हिंदुस्तानी फिल्म की रावनेस्स बिलकुल खत्म नज़र आती दिखती है ! फिल्म का एडवांस होना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन फिल्म में वही कहानी और डायलॉग्स को घूमा फिरा क्र अगर बताया जाये तो एक समय पर आके वह कानो और आँखों को चुभ ने लगते हैं !
करप्शन देश की बहुत समय से एक ऐसी समय है जिसका तोड़ आज अच्छे खासे लोग भी नहीं निकालपाए हैं और उनके पसीने निकल गए हैं ! बहुत कोशिशें की जा चुकी हैं बहुत आंदोलन भी लेकिन यह दिक्कत समाज में दीमक बन गयी है जाने का नाम नहीं ले रही है ! यह बात जो आपने अभी पढ़ी पूरी फिल्म में इसको दो घंटों तक घूमा घूमा के हमारे सामने रखा गया है और कुछ ख़ास हमें इसमें नहीं देखने को मिलता ! शंकर की फिल्म शिवजी बॉस में भी यही दिखात थी लेकिन करप्शन के साथ साथ बाकी चीज़ों पर भी अच्छा ख़ासा फोकस किया गया था ! जो दर्शकों को कहानी के असल मुद्दे से भटकने से रोक रही थी ! लेकिन हिंदुस्तानी 2 के साथ अगर यही स्ट्रेटेजी अप्लाई की होती तो शायद फिल्म की कहानी को एक नयफिल्म के शुरुवाती मिनट आपको बांध के रखते हैं और कहनी को एक अलग दिशा में सेट करने के लिए नए किरदारों को धीरे धीरे कहानी में जोड़ती है !
सिर्फ शुरू का बिल्ड अप कहानी को जकड़े रखता है जब तक कमल हसन के किरदार की फिल्म में एंट्री नहीं होती ! अक्सर फिल्म में मैं लीड की एंट्री के बाद असल कहानी शुरू होती है लेकिन इस फिल्म के साथ मामला हल्का उल्टा है ! कमल हसन के किरदार का इंट्रोडक्शन बहुत ाचा बामय गया है लेकिन कब किरदार कहानी में अपनी नीव को बनता है तब ऐसा महसूस होता है की किरदार जबरdasti अपने आप को एस्टब्लिश कर रहा है ! कुछ वक़्त के लिए कमल हसन का किरदार बे वजह अपने आप को साबित करने में लगा हुआ था की वो कौन hai जब की हिंदुस्तानी किरदार को लोग कहानी में भली भांति जानते हैं !
अगर इस बात को भी हम नज़र अंदाज़ करदें तो कहानी आधे घरते बाफ जाके कुछ ख़ास कमल नहीं कर पाती ऐसा lagta है की कहानी को हम में पिछली दस फिल्मों में देखा हुआ है और हर एक सिचुएशन को आसानी से प्रीडिक्ट किया जा सकता था की अब आगे कहानी में क्या होने वाला है ! फिल्मोग्राफी बहुत ही एडवांस फील होती है और पिछली हिंदुस्तानी फिल्म की रावनेस्स बिलकुल खत्म नज़र आती दिखती है ! फिल्म का एडवांस होना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन फिल्म में वही कहानी और डायलॉग्स को घूमा फिरा क्र अगर बताया जाये तो एक समय पर आके वह कानो और आँखों को चुभ ने लगते हैं !
करप्शन देश की बहुत समय से एक ऐसी समय है जिसका तोड़ आज अच्छे खासे लोग भी नहीं निकालपाए हैं और उनके पसीने निकल गए हैं ! बहुत कोशिशें की जा चुकी हैं और बहुत आंदोलन भी लेकिन यह दिक्कत समाज में दीमक बन गयी है jaane का नाम नहीं ले रही है ! यह बात जो आपने अभी पढ़ी पूरी फिल्म में इसको डो घ्नतो तक घूमा घूमा के हमारे साणे रखा गया है और कुछ ख़ास हमें इसमें नहीं देखने को मिलता ! शंकर की फिल्म शिवजी बॉस में भी यही दिखात थी लेकिन करप्शन के साथ साथ बाकी चीज़ों पर भी अच्छा ख़ासा फोकस किया गया था ! जो दर्शकों को कहानी के असल मुद्दे से भटकने से रोक रही थी ! लेकिन हिंदुस्तानी 2 के साथ अगर यही स्ट्रेटेजी अप्लाई की होती तो शायद फिल्म की कहानी को नई दिशा मिल सकती थी जो की करप्शन के थीम को और अच्छे और बखूबी तरीके से दर्शा सकती थी !
फिल्म के तीनो स्टेजेस को लाजवाब तरीके से पूरा किया गया है। फिल्म में राइटिंग और अच्छी हो सकती थी और इसी के साथ साथ डायलॉग्स को और बेहतर तरीके से लिखा जा सकता था। डायलॉग्स भी बहुत साड़ी फिल्मों के मिस्रण्ड जैसे सुनाई देते हैं जो की हम काफी फिल्मों में बहुत बार सुन चुकें हैं। बारीकी से देखा जाये तोह प्रे प्रोडक्शन में और ज्यादा ससमय दिया जाता तो फिल्म की राइटिंग और भी अच्छे से उभर के आ सकती थी। प्रोडक्शन में म्हणत दिखती है सेट डिज़ाइन, किरदारों की कस्टम, मेकअप और बाकी चीज़ों को अच्छे से इम्प्लमेंट किया गया है लेकिन इन सब के बावजूद कहानी में दम न होने के कारन पूरी फिल्म कुछ मिनट के बाद जबरदस्ती देखने की इस्थिति पैदा कर देती है। अगर आप इसको इस हफ्ते देखने का सोच रहे हैं तो हम बोलेंगे की आप लोग इस फिल्म का इंतज़ार ओटीटी पर आने का करे। फिल्म के अंत में हमें इसके तीसरे भाग का ट्रेलर देखने को मिला जो इसके आगे की कहानी का एक छोटा हिस्सा था।
Hindustani 3 release date: January 2025